Sunday, February 21, 2010

खूबसूरती की दौड़ में-हिन्दी हास्य कवितायें (hindi comic poem)

क्रीम पाउडर से सजे चेहरे
सौंदर्य का पर्याय बन गये हैं,
भयानक चेहरे भी
खूबसूरती की दौड़ में भागने के लिये बनठन गये हैं।
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न राई थी, न पहाड़ था,
न तिल था, न ताड़ था,
फिर भी वह ख्वाब बेचकर
सौदागरों ने पैसा कमाया।
इसतर बड़े ठग ने
छोटे पर रुआब जमाया।
कौन करेगा फरियाद,
सभी दे रहे एक दूसरे को दाद,
न अच्छे रास्ते पैसा मिला
न अच्छी जगह गंवाया।
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अब यह प्रश्न न पूछना कि
हर शाख पर उल्लू बैठा है
अंजाम-ए-गुलिस्तां क्या होगा।
उजड़े चमन में
बिगड़े लोगों के वतन में
बरबादी का मंजर चारों तरफ है
अब तो प्रश्न यह है उल्लूओं का क्या होगा?

कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक भारतदीप,Gwalior
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