वह भिखारी मंदिर के बाहर
चप्पल के सिंहासन पर बैठा
पुण्य क्रेता ग्राहक की
प्रतीक्षा में बैठा
आनंदमय दिखता है।
वह बादशाह महल में
सोने के सिंहासन पर
प्रजा की चिंता में लीन
असुरक्षा के भय से दीन
चिंतामय दिखता है।
कहें दीपकबापू मन से
बनता संसार पर नजरिया
आंखों से केवल दृश्य दिखता है।
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धरती पर स्वर्ग-हिन्दी कविता
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मतलब की बात
जल्दी सुनते
वरना बहरे हो जाते हैं।
डराते जो ज़माने को
खौफ में जीते वह भी
उनके घर खड़े पहरे हो जाते हैं।
कहें दीपकबापू सरलता से
जीवन बिताने की आदत
बना देती धरती पर स्वर्ग
चालाक अंदाज से
दुश्मन गहरे हो जाते हैं।
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मतलब की बात
जल्दी सुनते
वरना बहरे हो जाते हैं।
डराते जो ज़माने को
खौफ में जीते वह भी
उनके घर खड़े पहरे हो जाते हैं।
कहें दीपकबापू सरलता से
जीवन बिताने की आदत
बना देती धरती पर स्वर्ग
चालाक अंदाज से
दुश्मन गहरे हो जाते हैं।
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