सोच और कदम-हिन्दी शायरी (Soch aur Kadam-HindiShayri)
अपनी जिंदगी हंसीन
बनाने के लिये
कवायद करनी पड़ती है।
यकीन करो
वही आता आंखों के सामने
अपनी नज़रे जो गढ़ती हैं।
कहें दीपकबापू नजरिये से
दोस्त या दुश्मन बनते
उस मंजिल की तरफ जाते
इंसान के कदम
सोच जहां बढ़ती है।
‘‘‘‘‘‘‘‘‘‘‘
इस लेखक के समस्त ब्लॉग यहाँ एक जगह प्रस्तुत हैं
-
How to Create an Editorial Calendar and Be a More Successful Blogger
-
Want to make your blogging life easier with just one tool? Start using an
editorial calendar. Let us show you how.
4 days ago
-
हम भारत, भारती, और भारतीयता के संवाहक हैं और धर्मनिरपेक्षता तामस गुण की
पहचान है(भाग एक) we have an Bharat.,Bharati, bhartiyata Thought, Seculisma
is Tanasi type (part-1)
-
पहले तो प्रश्न यह है कि क्या हम सर्वधर्म समभाव की विचाराधारा से सहमत हैं?
जवाब अगर हां है तो फिर यह समझाना पड़ेगा कि धर्म का आशय क्या है? भारत
विश्वगुरु है...
4 years ago
-
मत का अधिकार था भगवान हुए मतदाता-दीपकबापूवाणी (Matadata ka Adhikar thaa
Bhagwan hue Matdata-DeepakBapuwani)
-
*---ज़माने पर सवाल पर सवालसभी उठाते, अपने बारे में कोई पूछे झूठे जवाब
जुटाते।‘दीपकबापू’ झांक रहे सभी दूसरे के घरों में, गैर के दर्द ...
5 years ago
-
मनचलों में राजा होने का भ्रम है-दीपकबापूवाणी (Manchalon mein raja hone ka
Bhram hai-DeepakbapuWani)
-
*मनचलों में राजा होने का भ्रम है,*
*किसी के हाथ लट्ठ किसी के बम है।*
*काम में नकारा मुंह चलाते*
*‘दीपकबापू’ बाजूओं में नहीं दम है।*
*----*
*सड़क पर खड़ा हो बौ...
5 years ago
-
भ्रमजाल फैलाकर सिंहासन पा जाते-दीपकबापूवाणी (bhramjal Failakar singhasan
paa jaate-DeepakbapuWani
-
*छोड़ चुके हम सब चाहत,*
*मजबूरी से न समझना आहत।*
*कहें दीपकबापू खुश होंगे हम*
*ढूंढ लो अपने लिये तुम राहत।*
*----*
*बुझे मन से न बात करो*
*कभी दिल से भी हंसा...
5 years ago
-
पर्यावरण में विष घोलकर विकास की बात करते हैं-दीपकबापूवाणी (Vish Gholkar
vikas ki baat karte hain-DeepakbapuWani)
-
*नेता अभिनेता प्रचार के लिये बोलें,*
*हर रस मे अपने शब्द घोलें।*
*ंभाषा के अलंकार भूलते*
*अर्थ के नाम पर अनर्थ खोलें।*
*---*
*राम नाम पर सत्ता का सुख लूट,*
...
5 years ago
-
दूसरे की फिक्र से कमाते हैं-दीपकबापूवाणी (Doosre ki Fikra se kamate
hain-DeepakBapuWani)
-
*बेकारी के जो सताये हैं,*
*राजमार्ग पर चले आये हैं।*
*‘दीपकबापू’ दिल बहला लेते*
*वादों का पिटारा जो वह लाये हैं।*
*---*
*वादों के व्यापारी हमदर्द वेश धरेंग...
6 years ago
-
-
-
-
जयश्रीराम का राजनीतिकरण कौन कर रहा है-हिन्दी संपादकीय
-
जब देश में रामजन्मभूमि
आंदोलन चल रहा था तब ‘जयश्रीराम’ नारे का जिस तरह चुनावी राजनीतिकरण हुआ उसकी
अनेक मिसाल...
8 years ago
-
पाकिस्तान को मोदी जी से डरना ही चाहिये-संदर्भःभारत पाक संबंध-सामायिक लेख
-
पाकिस्तानी भले ही परमाणु बम
लेकर बरसों से भारतीय हमले से बेफिक्र हैं यह सोचकर कि हम एक दो तो भारत पर
पटक ही ल...
8 years ago
-
इंटरनेट पर हिन्दी लिखने वालों को साहित्यकार ही माने-हिन्दी लेख
-
प्रतिदिन कोई न कोई सम्मानीय अपना सम्मान पुराने सामान की
तरह बाहर फैंक रहा है। इससे तो यही लगता है जितने साहित्यक सम्मान देश में
बांटे गये ...
9 years ago
-
धार्मिक ग्रंथ की बात पहले समझें फिर व्यक्त करें-हिन्दी लेख
-
अभी हाल ही में एक पत्रिका में वेदों के
संदेशों के आधार पर यह संदेश प्रकाशित किया गया कि ‘गाय को मारने या मांस खाने
वाले ...
9 years ago
-
स्वर्ग व मोक्ष का दृश्यव्य रूप नहीं-हिन्दी लेख
-
हमारे देश में धर्म के नाम पर अनेक प्रकार
के भ्रम फैलाये गये हैं। खासतौर से स्वर्ग और मोक्ष के नाम पर ऐसे प्रचारित
किये ग...
9 years ago
-
मनोरंजन से अध्यात्मिक शांति बेचने का प्रयास-हिन्दी लेख
-
पूरे विश्व में प्रचार माध्यमों के बीच हर प्रकार के दर्शक
और श्रोता को प्रभावित करने की होड़ चल पड़ी है। मनोरंजन के नाम पर अनेक तरह के
कार्यक...
9 years ago
-
सम्मान वापसी और रचनात्मकता का वैचारिक संघर्ष-हिन्दी लेख
-
अब हम उन्हें दक्षिणपंथी कहें या राष्ट्रवादी जो अब पुराने
सम्मानीय लेखकों के सामान वापसी प्रकरण से उत्तेजित हैं और तय नहीं कर पा रहे
कि उनके प्रच...
9 years ago
-
हिन्दी दिवस पर दीपकबापू वाणी
-
हृदय धड़के मातृभाषा में, भाव परायी बाज़ार में मत खोलो। कहें दीपकबापू खुशी हो
या गम, निज शब्द हिन्दी में बोलो।। ————— दिल के जज़्बात अपने हैं, अपनी जुबां
हिन्...
9 years ago
-
अधर्मी व्यक्ति की तरक्की देखकर विचलित न हो-मनुस्मृति के आधार पर चिंत्तन लेख
-
विश्व के अधिकतर देशों में जो राजनीतक, आर्थिक और
सामाजिक व्यवस्थायें हैं उनमें सादगी, सदाचार तथा सिद्धांतों के साथ विकास
करते हुए उच...
10 years ago
-
No comments:
Post a Comment