Monday, April 18, 2016

संगीनों का साया-हिन्दी कविता(Sanginon ka Saya-HindiKavita)


बारातों के जश्न पर
संगीनों का साया है।

घर की गोली से
अपने ज्यादा मरते
आंकड़ों ने बताया है।

कहें दीपकबापू सोच से
हथियार का वास्ता
कभी नहीं रहता
पानी जैसा मन
आग की बात कहता
बने निशाना वह मौन हुए
चलाने वाला पछताया है।
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दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’’
कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक 'भारतदीप",ग्वालियर 
poet,writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior
http://dpkraj.blogspot.com

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