Thursday, October 1, 2015

रंगबिरंगी दुनियां-हिन्दी कविता(Rangbirangi Duniya-HindiKavita

अपनी नज़रिये से ही
देखोगे सभी को
दायरों में सिमट जाओगे।

बिन सोचे खेलोगे
अपनी जिंदगी से
खेल में पिट जाओगो।

कहें दीपकबापू रंगबिरंगी दुनियां है
अपने ही रंग पर
अगर हमेशा इतराये
हर रंग में मिट जाओगे।
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दीपक राज कुकरेजा भारतदीप
ग्वालियर मध्यप्रदेश
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दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’’
कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक 'भारतदीप",ग्वालियर 
poet,writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior
http://dpkraj.blogspot.com
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