Tuesday, August 12, 2014

भारत माता के घर का पता-आजादी के पर्व पर व्यंग्य कविता(bharat mata ke ghar ka pata-special hini poem on indepandent day or swantantra diwas diwas par vishesh hindi kavita)

15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस का
महत्व हम नहीं समझे
या कोई हमें समझा नहीं पाया।

जिस अंग्रेजी भाषा से लड़ी हिन्दी
राष्ट्रभाषा के सम्मान के लिये
हमने उसे आज तक लड़ते पाया।

स्वदेशी का नारा लगा था
स्वतंत्रता संग्राम के दौरान
खोई नहीं उसकी यादें
यदाकदा उसे अब भी सुनते पाया।

अंग्रेजों के गुलामी और मालिक के खेल
क्रिकेट को मनोरंजन का धर्म बना लिया
पागलों की तरह लोगों को
गेंद की तरह उसके पीछे भागते पाया।

आज अंग्रेजों की धरती पर गये लोग
इतराते हैं उनकी तरह
भारत को इंडिया से जूझते पाया।

कहते हैं कि जो अंग्रेजी नहीं पढ़ेगा
वह तरक्की की राह नहीं चलेगा
समझ में नहीं आता
अंग्रेजों को किसने कब कैसे क्यों और कहां
इस देश से भगाया।

कहें दीपक सभी के साथ
हम भी भारत माता की जय का
नारा लगा लेते हैं
हम ढूंढते उसका अपना घर
जिसका पता किसी ने नहीं बताया।
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दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’’
कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक 'भारतदीप",ग्वालियर 
poet,writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior
http://dpkraj.blogspot.com
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