Friday, March 14, 2014

बयानवीर और प्रचार प्रबंधकों का तयशुदा खेल-हिन्दी व्यंग्य कविता(bayanveer aur prachar prabandhakon ka tayshuda khel-hindi vyangya kavita)



लोगों के सामने पर्दे चलने के लिये रोज नयी खबर चाहिये,
प्रचार प्रबंधक ढूंढते हैं बयानवीन इस पर नाराजगी नहीं जताईये।
सनसनीखेज शब्द हों तो चर्चा और बहस की सामग्री जुटाते हैं,
बीच में चलते सामानों के विज्ञापन जिन पर लोग दिल लुटाते हैं,
चमकाये जाते हैं वह चेहरे जो देते हैं किसी का नाम लेकर गालियां,
उस पर जारी बहस में कोई वक्ता होता नाराज कोई बजाता तालियां,
पर्दे पर खबरें ताजा खबर के लिये किसी को भी बनाते नायक,
बासी होते ही उसके चेहरे में ताजगी भरते बताकर खलनायक,
कहें दीपक बापू बयानवीरों और प्रचार प्रबंधकों खेल तयशुदा है
इधर से सुनिये उधर से निकालिये अपना दिल न सताईये।
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दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’’
कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक 'भारतदीप",ग्वालियर 
poet,writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior
http://dpkraj.blogspot.com
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