Wednesday, January 29, 2014

दूसरे की बजाय अपने पर ध्यान रखें-हिन्दी अध्यात्मिक चिंत्तन(doosre ke bajay apnee taraf dhyan den-hindi adhyatmik chinntan)



      मनुष्य के लिये मनोरंजन एक आवश्यक विषय है। हमारे अध्यात्मिक दर्शन के अनुसार प्रतिदिन का समय चार भागों में बांटा गया है। प्रातः धर्म, दोपहर अर्थ, सांयकाल मनोरंजन तथा रात्रि मोक्ष के लिये माना गया है। प्रकृत्ति ने अनेक रस और रंग चारों ओर बिखेर रखे हैं। अपनी दिनचर्या में अगर भारतीय दर्शन के अनुसार वैज्ञानिक ढंग से समय बिताया जाये तो यकीनन न केवल जीवन जिया जा सकता है पर वरन् उसे समझा भी जा सकता है।
      एक बात निश्चित है कि जो मनुष्य दिन के चारों भागों को नियम के अनुसार समय व्यतीत करता  है वह अधिक आनंद उठाता है। इस चक्र के बाहर रहना, अनियमित होना या विपरीत चलना अंततः मानसिक तनाव का कारण बनता है। देखा तो यह गया है कि लोग प्रातःकाल ही योग, ध्यान या पूजा करने की बजाय मनोरंजन या व्यसन में लग जाते हैं।  अनेक लोग घर से बाहर निकलकर सड़क या पार्क में सिगरेट या बीड़ी पीने लगते हैं। अनेक लोग प्रातः ही टीवी से चिपक जाते हैं।  दोपहर अर्थ का समय है। इसका आशय है कि उचित ढंग से धनोपार्जन किया जाये पर आजकल तो अनर्थ अर्थात गलत तरीके से धन कमाने की कोशिश अधिक होती दिखती है।  सांयकाल मनोंरजन के नाम पर ऐसे विषयों में मन लगाया जाता है जो बाद में तनाव का कारण बनता है।  उनका मनोरंजन अर्द्धरात्रि तक चलता है।  जब सोते हैं तो प्रातःकाल निकल चुका होता है और सूर्यनारायण अपनी पूर्ण शक्ति से संसार में विचरते दिखते हैं। 
      हमने कहीं एक विद्वान का कथन पढ़ा  जिसमें कहा गया था कि अगर आपको रात्रि में देखे गये सपने सुबह याद रहें तो इसका मतलब यह है कि आप ढंग से सोये नहीं है।  हम यह भी देखते हैं कि रात के सपनों को लोग यादकर दूसरों को सुनाते हैं।
      उस दिन एक व्यक्ति इन इस लेखक से कहा कि‘‘मैं रात को एक सपना देख रहा था। वह सपना देखना मुझे अच्छा लग रहा था पर सुबह सब भूल गया।’’
      इस लेखक ने जवाब दिया कि ‘‘इसका मतलब यह है कि तुम रात को ढंग से सोये हो इस पर तुम्हें प्रसन्न होना चाहिए।’’
      वह व्यक्ति बोला-‘‘पर मुझे इससे पहले वाली रातों के सपने याद रहते आये हैं।
      इस लेखक ने कहा-‘‘इसका मतलब यह है कि तुम बहुत दिनों से सोये नहीं थे।’’
      वह बोला-‘‘यार, में वह सपना याद करना चाहता हूं क्योंकि अच्छा लग रहा था।
      इस लेखक ने कहा-‘‘अफसोस है! तुम रात को अच्छी तरह सोने के बाद दिन में व्यर्थ का तनाव मोल ले रहे हो।’’
      हम देख रहे हैं कि समाज में स्वास्थ्य का सूचकांक एकदम नीचे की तरफ बढ़ता जा रहा है।  इसका मुख्य कारण अप्राकृतिक जीवन शैली है।  खान पान में मिलावट की समस्या तो है साथ में अपच भोजन की बढ़ती प्रवृत्ति ने एक बहुत बड़ा संकट खड़ा कर दिया है। छोटी उम्र के लोगो को ऐसी बीमारियों से ग्रसित देखा जा रहा है जो आमतौर से बड़े लोगों को होती है।  खासतौर से श्रमसाध्य कार्यों के प्रति लोगों की अरुचि ने उनको न केवल दैहिक रूप से बल्कि मानसिक रूप से भी कमजोर किया है।  हमारा अनुभव तो यह कहता है कि जितना देह को चलाया जाये उतनी ही वह ठीक रहती है। सबसे बड़ी बात तो यह कि मन में एक आत्मविश्वास रहता है।
      मुख्य बात यह है कि हर व्यक्ति को स्वयं ही अपनी तरफ ध्यान देना चाहिये। किसी को इस बात पर परेशान नहीं होना चाहिये कि दूसरा क्या कर रहा है? वह क्या खाता है? वह क्या पहनता है? इन प्रश्नों से जूझने की बजाय हमें इस बात पर ध्यान देना चाहिये कि हम किस तरह सुविधापूर्वक अपनी देह का संचालन कर सकते हैं। इसी से ही मनोबल बढ़ता है।



दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’’
कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक 'भारतदीप",ग्वालियर 
poet,writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior
http://dpkraj.blogspot.com
यह कविता/आलेख रचना इस ब्लाग ‘हिन्द केसरी पत्रिका’ प्रकाशित है। इसके अन्य कहीं प्रकाशन की अनुमति लेना आवश्यक है।
इस लेखक के अन्य ब्लाग/पत्रिकायें जरूर देखें
1.दीपक भारतदीप की हिन्दी पत्रिका
2.दीपक भारतदीप की अनंत शब्दयोग पत्रिका
3.दीपक भारतदीप का  चिंतन
4.दीपक भारतदीप की शब्दयोग पत्रिका
5.दीपक भारतदीप की शब्दज्ञान का पत्रिका

८.हिन्दी सरिता पत्रिका 


No comments:

इस लेखक के समस्त ब्लॉग यहाँ एक जगह प्रस्तुत हैं

हिंदी मित्र पत्रिका

यह ब्लाग/पत्रिका हिंदी मित्र पत्रिका अनेक ब्लाग का संकलक/संग्रहक है। जिन पाठकों को एक साथ अनेक विषयों पर पढ़ने की इच्छा है, वह यहां क्लिक करें। इसके अलावा जिन मित्रों को अपने ब्लाग यहां दिखाने हैं वह अपने ब्लाग यहां जोड़ सकते हैं। लेखक संपादक दीपक भारतदीप, ग्वालियर

दीपक भारतदीप की अनंत शब्दयोग पत्रिका

दीपक भारतदीप का चिंतन