Sunday, February 24, 2013

किराये पर मिली खुशी जोश नहीं देती-हिन्दी कविता (kiraye par milee khushi josh nahin dete-hindi poem)

कमजोर  नीयत
जुबां से मजबूत लफ्ज
बाहर आने नहीे देती,
खराब ख्याल में डूबें हों
कोई तस्वीर आंखों में गहराई नहीं लेती
कहें दीपक बापू
दुनियां तो अपने ही  दिल का खेल है
जब तक खेलें हम खुद
सब ठीक है
खिलाने लगे कोई दूसरा
तब अपनी ही इंसानी सोच
मुर्दा जैसी शक्ल लेती।
कीमत पर मिली खुशी
जिंदगी को कोई जोश नहीं देती।
लेखक-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप’’
ग्वालियर मध्यप्रदेश
writer-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior, Madhya pradesh
कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक 'भारतदीप",ग्वालियर 
poet,writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior
http://dpkraj.blogspot.com
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