Wednesday, August 12, 2015

सुंदर पिचाई और गूगल-भारत के भाग्यविधाताओं के लिये आत्ममंथन का विषय(sundar picai(picchai)and google-great thought subject in india)

                                   तमिलनाडू के सुंदर पिचाई का दुनियां की सबसे बड़ा सर्च इंजन चलाने वाली कंपनी गूगल का मुख्य कार्यपालन अधिकारी (CEO) नियुक्त होना प्रसन्नता की बात होने के साथ ही भारत के आर्थिक, सामाजिक और धार्मिक विद्वानों के लिये आत्ममंथन का विषय है। गूगल की संपत्ति तीस लाख करोड़ है और जैसा कि हम जानते हैं कि कंपनी का मुख्य अधिकारी उसका एक तरह से स्वामी माना जाता है।  प्रश्न यह है कि भारत में रहकर कोई ऐसी तरक्की क्यों नहीं कर पाता?
                                   जवाब भी हम ही देते हैं।  हमारे यहां प्रकृत्ति की कृपा से अन्न, जल, खनिज के भंडार के साथ ही शुद्ध वातावरण है। उसके उपयोग के हम तरीके जानते हैं पर उनके व्यवसाय का लाभ उठाने के लिये  कुशल प्रबंध की प्रवृत्ति नहीं है।  शायद इसका कारण यह है कि हमारे यहां परंपरागत छोटे व्यापार लंबे समय तक चलते रहे जिसकी वजह से कुशल प्रबंध की विद्या में पारंगत नहीं हो पाये।  उस समय राज्य प्रबंध भी सीमित लक्ष्य के साथ होता था पर आजकल लोकतंत्र में उसकी सीमा बढ़ गयी है।  ऐसे में अकुशल प्रबंध से पूरे देश की व्यवस्था में विरोधाभास दिखने को मिलते हैं।  आजादी के बाद पूंजीवाद तथा साम्यवाद के बीच का मार्ग समाजवाद चुना गया पर उससे हुआ यह कि पुराने पूंजीपति अपना अस्तित्व तो बचाते रहे पर राज्य प्रबंध के अभाव में नये पूंजीपति नहंी बने।  जिसे देखो वही नौकरी तलाश रहा है। मजे की बात यह कि कंपनी का मुख्य कार्यकारी भी सेवक होता है पर भारत में कंपनियां पारिवारिक व्यवसाय की तरह चल रही  हैं।  आम लोगों के विनिवेश तथा राष्ट्रीयकृत बैंकों के ऋण लेकर बड़ी कंपनियां बनाये बैठे कथित मुख्य कार्यकारी सेवक के रूप में वेतन लेते हैं पर वास्तव में स्वामी बन जाते हैं।  अपने बाद अपना उत्तराधिकारी अपने पुत्र या पुत्री को बनाते हैं।
                                   सीधी बात कहें तो व्यवसायिक प्रवृत्ति का अभाव है जिससे यहां के धनपति कोई नया प्रयोग नहंी करते। वह अपनी कंपनी केवल अपने परिवार के पास रखना चाहते हैं।  हैरानी की बात यह कि जनता के पैसे और बैंकों के ऋण की रकम भी उनकी संपत्ति मानी जाती है।  भारत के इतने सारे साफ्टवेयर इंजीनियर है पर उन्हें न राज्य प्रबंध और न ही पूंजी क्षेत्र से कोई सहायता नहीं मिलती।  यही कारण है कि भारत के विकास के दावा हम जैसे लोगों को खोखले लगते हैं क्योंकि आज तक हमारे पास अपना कोई अंतर्जालीय सर्वर नहीं है। जबकि चीन और ईरान यह काम कर चुके हैं।
                                   15  अगस्त से पूर्व सुंदर पिचाई की गूगल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी बनने की खबर प्रसन्नता देने वाली है। हम आशा करते हैं कि हमारी बात उन स्थानों तक पहुंचेगी जो इस देश के भाग्य के निर्णायक हैं।  एक हिन्दी लेखक वह भी अगर सामान्य स्तर का हो तो उसे अंतर्जाल पर  पढ़ने वाले अधिक नहीं होते इसलिये यह आशा करना भी स्वयं को धोखा देना है।
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दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’’
कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक 'भारतदीप",ग्वालियर 
poet,writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior
http://dpkraj.blogspot.com
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