Sunday, August 23, 2015

दिल का चैन-हिन्दी कविता(dil ka chain-hindi poem)


पलंग देह से लंबा है
अपनी टांग
कहां तक बढ़ायेंगे।

खाने के सामान का
ढेर सजा है
सब कैसे पेट में समायेंगे।

कहें दीपक बापू गोली से
निद्रा भी ला सकते हैं
मधुनाशक से खाने भी पचते हैं
अगर दिल का चैन चाहिये
कहां मिलेगा बतायेंगे।
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दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’’
कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक 'भारतदीप",ग्वालियर 
poet,writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior
http://dpkraj.blogspot.com
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