हे ईश्वर,
आकाश से समय पर
अमृत जल बरसाना।
गर्मी में हिमालय से
बर्फ भेजकर
फिर न तरसाना।
कहें दीपक बापू इंसानों में देव
तुमने बहुत बसाये हैं,
वह कभी हमारे
नहीं काम आये हैं।
अपने खज़ाने भरने से
समय मिलता नहीं,
अपने इलाज के लिये
पंचतारा अस्पताल
उनके मिल जाते
इसलिये गरीब के दर्द से
उनका दिमाग हिलता नहीं,
उन पर तेरी कृपा
रहती हमेशा
इस बार हम पर भी बरसाना।
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दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’’
कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक 'भारतदीप",ग्वालियर
poet,writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior
http://dpkraj.blogspot.comयह कविता/आलेख रचना इस ब्लाग ‘हिन्द केसरी पत्रिका’ प्रकाशित है। इसके अन्य कहीं प्रकाशन की अनुमति लेना आवश्यक है।
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