Monday, March 30, 2015

खिलवाड़-हिन्दी गज़ल(khilbad-hindi gazal)


अधियारे से रोशनी का वादा कर जाते हैं।
रेगिस्तान में गुलशन का सौदा लाते हैं।

ढेर सारे नुस्खे हैं उनके दिमाग में
एक पुराना हो जाये दूसरा बताते हैं।

राजमहल में जाकर सड़क की बेबसी जाते भूल
बेघरों के लिये ताजमहल का सपना लाते हैं।

कहें दीपक बापू बालपन में जो खेले नहीं
बड़े होकर खिलवाड़ में ही आनंद पाते हैं।
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दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’’
कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक 'भारतदीप",ग्वालियर 
poet,writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior
http://dpkraj.blogspot.com
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