Monday, January 26, 2015

गणतंत्र का आशय-हिन्दी कविता(gantantantra ka ashyar-hindi kavaita,meaning of republic-hindi poem)



तंत्र जो गण के साथ चले
वही शायद  गणतंत्र है
या जिसके पीछे चले गण
उसे ही माने।

लड़ी जाती लड़ाई
तंत्र से मिले राजस्व के
अपने अपने बंटवारे की
नाम होता जनकल्याण
कभी होता नज़र आता तो माने।

कहें दीपक बापू आय के भाग से
जिन्होंने संतोष पाया,
वह यथास्थितिवादी हो गये,
अप्रसन्न होने वाले
क्रांतिकारी होकर
इतिहास में खो गये,
परिवर्तन के दावे
सच होते तो माने।
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दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’’
कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक 'भारतदीप",ग्वालियर 
poet,writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior
http://dpkraj.blogspot.com
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