Friday, December 5, 2014

विचार बेचे और खरीदे जाते हैं-हिन्दी कविता(vichar beche aur kharide jate hain-hindi poem)



पढ़ी किताबें बहुत
समझा अधिक नहीं
उपधियों भी जुटा लीं
उनके पास अवसर
बोलने के बहुत आते हैं।

भूल जाते हैं विषय का सच
शब्दों के अर्थ
अपने दिमाग से जुटाते
यह अलग बात है
उनके भाव तोलने में कम पाते हैं।

कहें दीपक बापू दौलत से विचार
खरीदे और बेचे जाते हैं,
सौदागर पुराने संकल्प
नया कर बाज़ार में सजाते हैं,
विज्ञापनों की भीड़ में
ठगे जाते हैं पहले
बाद में पुराना सपना
लिफाफे खोलने पर पाते हैं।
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दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’’
कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक 'भारतदीप",ग्वालियर 
poet,writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior
http://dpkraj.blogspot.com
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