फुर्सत में लिखी
चंद कवितायें
हिन्दी सेवी की
पदवी का
खिताब पाने लगे।
चालाकियों से चढ़
गये
साहित्य का शिखर
हिन्दी दिवस के
कार्यक्रमों में
माननीय कहलाने
लगे।
कहें दीपक बापू
शब्दों का खेल
केवल रचनाओं से
नहीं खेला जाता,
समाज के सच को
कलमबद्ध करना
अकेलेपन में सहज
झेला नहीं आता,
कला और साहित्य
के मेलों में
कोई पधारता
चेहरा दिखाने,
कोई प्रवचन करता
दूसरों को सिखाने,
परायेपन का बोध
है
राष्ट्रभाषा
हिन्दी से
मगर एक दिन के
लिये
बन जाते सभी
सगे।
------------------------
hindi literature,hindu religion message,हिंदी साहित्य,समाज,अध्यात्म,हिंदू धर्म संसार संदेश,society,adhyatma,14 september hindi diwas, hindi divas,राष्ट्रभाषा का महत्व,,हिंदी का महत्व,hindi ka mahtava,rashtrabhasha ka mahatva
दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’’
कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक 'भारतदीप",ग्वालियर
poet,writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior
http://dpkraj.blogspot.comयह कविता/आलेख रचना इस ब्लाग ‘हिन्द केसरी पत्रिका’ प्रकाशित है। इसके अन्य कहीं प्रकाशन की अनुमति लेना आवश्यक है।
इस लेखक के अन्य ब्लाग/पत्रिकायें जरूर देखें
1.दीपक भारतदीप की हिन्दी पत्रिका
2.दीपक भारतदीप की अनंत शब्दयोग पत्रिका
3.दीपक भारतदीप का चिंतन
4.दीपक भारतदीप की शब्दयोग पत्रिका
5.दीपक भारतदीप की शब्दज्ञान का पत्रिका
८.हिन्दी सरिता पत्रिका
No comments:
Post a Comment