Saturday, September 13, 2014

एक दिन के लिए हिंदी का मेला-14 सितंबर हिन्दी दिवस पर व्यंग्य कवितायें(ek din ke liye hindi ka mela-A hindi sAtire poem on 14 september hind day,hindi diwas or hindi divas)

  

फुर्सत में लिखी चंद कवितायें
हिन्दी सेवी की पदवी का
खिताब पाने लगे।

चालाकियों से चढ़ गये
साहित्य का शिखर
हिन्दी दिवस के कार्यक्रमों में
माननीय कहलाने लगे।

कहें दीपक बापू शब्दों का खेल
केवल रचनाओं से नहीं खेला जाता,
समाज के सच को कलमबद्ध करना
अकेलेपन में सहज झेला नहीं आता,
कला और साहित्य के मेलों में
कोई पधारता चेहरा दिखाने,
कोई प्रवचन करता दूसरों को सिखाने,
परायेपन का बोध है
राष्ट्रभाषा हिन्दी से
मगर एक दिन के लिये
बन जाते सभी सगे।
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दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’’
कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक 'भारतदीप",ग्वालियर 
poet,writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior
http://dpkraj.blogspot.com
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