Tuesday, July 30, 2013

नहीं होता धोखे का मलाल-हिन्दी कविता (nahin hota dhokhe ka malal-hindi poem or kavita)



गर्मी है तो अकाल है,
बरसात है तो बाढ़
सर्दी है तो भी बवाल है,
जिंदगी में कदम-दर-कदम खड़ा सवाल है।
कहें दीपक बापू
हरियाली पर सीमेंट की चादर छा रही है,
कुदरती तोहफों  की लूट
सभी को भा रही है,
किसी को तिजोरी में
किसी को बैंक खाते में
दौलत के भंडार जुटाने हैं,
धर्म के नाम पर पाखंड दिखाकर
अपने घर के लोग लुभाने हैं,
दिल के दीवानों की
रूह मर गयी है
अक्ल पर मतलब की परत
चढ़ गयी है,
उम्मीद का आसमान अपने कंधे पर
रखना हमने सीख लिया है
इसलिये वफा के नाम पर
धोखे का होता नहीं कभी मलाल है।
------

कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक 'भारतदीप",ग्वालियर 
poet,writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior
http://dpkraj.blogspot.com
यह कविता/आलेख रचना इस ब्लाग ‘हिन्द केसरी पत्रिका’ प्रकाशित है। इसके अन्य कहीं प्रकाशन की अनुमति लेना आवश्यक है।
इस लेखक के अन्य ब्लाग/पत्रिकायें जरूर देखें
1.दीपक भारतदीप की हिन्दी पत्रिका
2.दीपक भारतदीप की अनंत शब्दयोग पत्रिका
3.दीपक भारतदीप का  चिंतन
4.दीपक भारतदीप की शब्दयोग पत्रिका
5.दीपक भारतदीप की शब्दज्ञान का पत्रिका

८.हिन्दी सरिता पत्रिका 


No comments:

इस लेखक के समस्त ब्लॉग यहाँ एक जगह प्रस्तुत हैं

हिंदी मित्र पत्रिका

यह ब्लाग/पत्रिका हिंदी मित्र पत्रिका अनेक ब्लाग का संकलक/संग्रहक है। जिन पाठकों को एक साथ अनेक विषयों पर पढ़ने की इच्छा है, वह यहां क्लिक करें। इसके अलावा जिन मित्रों को अपने ब्लाग यहां दिखाने हैं वह अपने ब्लाग यहां जोड़ सकते हैं। लेखक संपादक दीपक भारतदीप, ग्वालियर

दीपक भारतदीप की अनंत शब्दयोग पत्रिका

दीपक भारतदीप का चिंतन