Sunday, May 15, 2011

हिन्दी शायरी-नाम के मालिक (naam ke malik-hindi shayari)

आंसुओ को आँखों   से बाहर
आने से रोके रहे,
चाहे रोने के आते कितने भी मौके
हंसकर देते उनको धोखे रहे,
गैरों के हमलों की क्या शिकायत करते
अपनों के हाथ ही
हमारी खुशियों का गला घौंटे रहे।
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ज़मीन के सौदे हो जाते हैं
इंसानों के बीच
कागज पर नाम बदल जाते हैं।
खड़ी रहती है वह अपनी जगह
फसलों की जगह
पत्थर उसे बनाते अपनी पहचान की वजह,
इंसान मरकर
इतिहास के कागजों में चले जाते
अपनी स्वामिनी ज़मीन स्वयं है
नाम के मालिक तो
नाम के लिये आते और जाते हैं।
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कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक 'भारतदीप",ग्वालियर 
poet,writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior
http://dpkraj.blogspot.com
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