Sunday, January 17, 2010

शांति और वफादारी-हिन्दी शायरी (shanti aur vafadari-hindi shayri)



भीड़ में एकता की कोशिश पर

हंसी आ ही जाती है।

जहां पहले ही

चीख रहे हैं लोग

अपनी करनी का बखान करते हुए

बंद किये हैं कान,

आंखों  से ढूंढ रहे अपने लिये सम्मान,

वहां शांति के नारे की आवाज

शोर करती नजर आती है।

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वफादारी 

खामोश जज़्बात के साथ बह जाती है।

गद्दारी के घाव से पैदा आह

दिल से निकलकर

जुबान पर आकर चीखती

तब सनसनी फैल जाती है।

यही वजह है

नाम कमाने के लिये

गद्दारी ही सभी को भाती है।

कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक भारतदीप,Gwalior
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