सर्वशक्तिमान के दरबार में
क्यों जाकर भीड़ लगाते हो,
जिसने दिए काम करने को हाथ
उसी के सामने कुछ मांगने के लिए
क्यों फैलाते हो.
जिसने दिए चलने के लिए पाँव
क्यों लौटकर जाते हो फिर उसके गाँव,
उसने दुनियाँ देखने के लिए दी है आँखें
टकटकी लगाए उसी की तरह क्यों देखते हो
जैसे कैद किये हों तुम्हें सलाखें,
विचार करने के लिए दिया है दिमाग
जिसका करते हो उपयोग केवल पांच प्रतिशत भाग,
कितना ताकतवर तुम्हें उसने बनाया
तुम लाचार होकर उसके सामने क्यों पहुँच जाते हो.
---------------------------------------------
लेखक संपादक-दीपक भारतदीप, ग्वालियर
http://dpkraj.blogspot.com
-----------------------------
यह आलेख/कविता पाठ इस ब्लाग ‘हिंद केसरी पत्रिका’ पर मूल रूप से लिखा गया है। इसके अन्य कहीं भी प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
इस लेखक के अन्य संबद्ध ब्लाग इस प्रकार हैं
1.दीपक भारतदीप की शब्दयोग पत्रिका
2.दीपक भारतदीप की हिंदी एक्सप्रेस पत्रिका
3.दीपक भारतदीप की हिंदी पत्रिका
4.दीपक भारतदीप का चिंतन
5.दीपक भारतदीप की अनंत शब्द योग पत्रिका
Introducing Selective Push and Pull in WordPress Studio
-
WordPress Studio 1.5.5 introduces Selective Push and Pull, allowing
developers to selectively transfer themes, plugins, and files without
disrupting live s...
5 hours ago
No comments:
Post a Comment