Wednesday, February 29, 2012

अपने कदम आहिस्ता बढ़ाओ-हिन्दी कविता (apne kadam aahista badhao-hindi kavita)

ज़िंदगी के रास्ते पर चलना
इतना आसान नहीं
जितना लोग समझ लेते हैं,
यही वजह है कमजोर दिल वाले
थोड़ी मुश्किल में ही
अपनी दम खुद ही तोड़ देते हैं।
कहें दीपक बापू
आहिस्ता आहिस्ता कदम बढ़ाओ
कछुए के तरह
खरगोश की तरह उछलते
रहना अच्छा लगता है
मगर जिन कदमों से
चलना है दूर तक
उनको ही गम देते हैं। 
कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक 'भारतदीप",ग्वालियर 
poet,writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior
http://dpkraj.blogspot.com
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